
उत्तर प्रदेश सरकार ने कुछ सरकारी प्राइमरी स्कूलों को बंद करने की जो योजना बनाई है, वह ना सिर्फ शिक्षा व्यवस्था की नींव को हिला रही है, बल्कि ग्रामीण भारत की उम्मीदों पर पानी फेरने जैसी लग रही है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रदेश अध्यक्ष हरिश्चन्द्र सिंह ने इस निर्णय का सख्त विरोध करते हुए कहा है कि सरकार नौकरशाहों के इशारे पर जनता के बच्चों का भविष्य बंद करने पर तुली है।
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विद्यालय बंद, लेकिन बच्चे जाएं कहां?
सरकार का तर्क है कि कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को मर्ज कर दिया जाएगा। लेकिन सवाल यह है कि जिन बच्चों को 2–3 किलोमीटर दूर भेजा जाएगा, वे क्या रोज़ स्कूल पहुंच पाएंगे?
सरकारी स्कूलों को बचाओ, निजी स्कूलों को नहीं सजाओ!
आज का हाल यह है कि सरकार खुद ही सरकारी स्कूलों से भरोसा उठा चुकी है — और फिर जनता से उम्मीद करती है कि वह उन्हें बच्चों की पहली पसंद बनाए।
NCP की मांग है:
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विद्यालयों को बंद करने के बजाय उनकी गुणवत्ता सुधारी जाए
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ग्रामीण अभिभावकों को प्रोत्साहन दिया जाए
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और सबसे ज़रूरी—नई भर्तियों से B.Ed व BTC धारकों को रोज़गार दिया जाए
नौकरी की उम्मीदों को भी लगा ब्रेक?
जहां एक ओर सरकार स्कूल बंद कर रही है, वहीं दूसरी ओर लाखों शिक्षित बेरोजगार B.Ed और BTC धारक इंटरव्यू की राह देख रहे हैं।
एक BTC टॉपर का कटाक्ष:
“सुनते थे ‘पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब’, अब लगता है पढ़े-लिखे तो बनेंगे बेरोजगार!”
सरकारी स्कूलों की हालत सुधारें, बंद नहीं करें
भारत की शिक्षा नीति का मूल उद्देश्य सर्व शिक्षा अभियान है, लेकिन ‘सर्व स्कूल बंद योजना’ जैसे फैसले क्या इस अभियान को ठेंगा नहीं दिखा रहे?
सरकार अगर वाकई में सुधार चाहती है तो:
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स्कूलों में शिक्षक और संसाधनों की संख्या बढ़ाए
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बच्चों के लिए निःशुल्क व सुगम परिवहन सुविधा दे
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और निजीकरण की दौड़ में सरकारी स्कूलों को कुर्बान न करे
NCP का दो-टूक संदेश: बंद स्कूल नहीं, बढ़ाओ भविष्य
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने दो-टूक कहा है:
“शिक्षा बंद नहीं हो सकती, विद्यालय बंद नहीं होने चाहिए।
यह योजना शिक्षा को नहीं, पीढ़ियों को बंद करने जैसा है।”
शिक्षा की लड़ाई में सरकार से सवाल ज़रूरी है
सरकारी स्कूलों को बंद करना सिर्फ एक नीतिगत निर्णय नहीं है—यह करोड़ों ग्रामीण बच्चों के भविष्य पर सीधा प्रहार है। अगर गांव-गांव से स्कूल हटे, तो देश किस दिशा में बढ़े?
सरकार को चाहिए कि वह शिक्षा को अधिकार की तरह देखे, न कि बजट कटौती का बहाना। स्कूलों को बंद नहीं, संवारा जाना चाहिए।